- Faraday First Law In Hindi 2022 | Faraday Ka Niyam | विद्युत चुंबकीय प्रेरण की परिभाषा | Faraday ke Niyam : फैराडे के प्रथम नियम को बताइये
माइकेल फैराडे, भौतिक विज्ञानी एवं रसायनज्ञ थे। उन्होंने विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव का आविष्कार किया। इन्होंने विद्युत चुंबकीय प्रेरण का अध्ययन करके उसको नियमबद्ध किया।अपने जीवनकाल में फैराडे ने अनेक खोजें की। सन् 1831 में विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत की महत्वपूर्ण खोज की। चुंबकीय क्षेत्र में एक चालक को घुमाकर विद्युत-वाहक-बल उत्पन्न किया। Faraday ke Niyam फैराडे का नियम इस सिद्धांत पर भविष्य में जनित्र (generator) बना तथा आधुनिक विद्युत इंजीनियरिंग की नींव पड़ी
विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव के सिद्धांत पर कई प्रकार के यंत्र और मोटर आदि कार्य करते हैं।आज के हमारे इस ब्लॉग Faraday ke Niyam मे हम माइकल फैराडे के चुम्बकीय प्रेरण के नियमों के बारे में चर्चा करेंगे
Faraday ke Niyam किसे कहते हैं
इकल फैराडे ने सन् 1831 में विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत की महत्वपूर्ण खोज की। चुंबकीय क्षेत्र में एक चालक (conductor) को घुमाकर विद्युत-वाहक-बल उत्पन्न किया। इस सिद्धांत पर अभी तक जनित्र (generator) बन चुके हैं। इन्होंने विद्युद्विश्लेषण पर महत्वपूर्ण कार्य किए तथा विद्युत विश्लेषण के नियमों की स्थापना की, जो फैराडे के नियम कहलाते हैं।
फैराडे ने अनेक पुस्तकें लिखी , जिनमें सबसे उपयोगी पुस्तक “विद्युत में प्रायोगिक गवेषणा” (Experimental Researches in Electricity) है।
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के प्रयोगों में विद्युत वाहक बल के उत्पन्न होने के कारण एवं परिणाम ज्ञात करने के लिए माइकल फैराडे ने सन् 1831 में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से संबंधित दो नियम दिए –
- फैराडे का प्रथम विद्युत अपघटन नियम
- फैराडे का द्वितीय विद्युत अपघटन नियम
Faraday ke Niyam
इस नियम के अनुसार, किसी बन्द परिपथ में उत्पन्न विद्युतवाहक बल (EMF) उस परिपथ से होकर प्रवाहित चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की दर के बराबर होता है। विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त की खोज माइकल फैराडे ने सन् १८३१ में की, और जोसेफ हेनरी ने भी उसी वर्ष स्वतन्त्र रूप से इस सिद्धान्त की खोज की
विद्युत चुंबकीय प्रेरण किसे कहते हैं
ओस्टेंड(oersted) ने 1832 में बताया कि जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित हो जाता है।
विद्युत धारा के इसी चुम्बकीय प्रभाव से प्रेरित होकर फैराडे ने अपना विचार प्रस्तुत किया कि इसके विपरीत चुम्बकीय क्षेत्र (Electromagnetic Induction) से भी विद्युत धारा उत्पन्न हो सकती है।अपने प्रयोगों से फैराडे ने यह निष्कर्ष निकाला कि जब किसी चुंबक को किसी धारामापी से जुड़ी कुंडली के पास लाते हैं या दूर ले जाते हैं तो धारामापी में विक्षेप होता है और कुंडली में एक विद्युत वाहक बल (EMF) उत्पन्न होता है जिसके कारण से कुंडली में एक धारा प्रवाहित होती है।धारामापी में यह विक्षेप तब तक रहता है जब तक चुम्बक गतिशील रहता है। चुम्बक को स्थिर कर देने पर धारामापी में विक्षेप बन्द हो जाता है।
इससे फैराडे ने यह निष्कर्ष निकाला कि जब किसी कुण्डली व चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति होती है तो कुण्डली में एक विद्युत वाहक बल(Electromotive Force) उत्पन्न हो जाती है जिसे प्रेरित विद्युत वाहक बल कहते हैं।
इसी विद्युत वाहक बल के कारण कुंडली में एक धारा प्रवाहित होती है जिसे प्रेरित धारा कहते हैं। इस घटना को ही विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction ) कहा जाता हैं।
फैराडे के प्रथम नियम को बताइये
फैराडे का विद्युतचुम्बकीय प्रेरण नियम या फैराडे का प्रेरण नियम, विद्युत चुम्बकत्व का एक मौलिक नियम है। ट्रांसफार्मर, विद्युत जनित्र आदि की कार्यप्रणाली इसी सिद्धांत पर आधारित होती है। इस नियम के अनुसार,
जब किसी परिपथ से संबद्ध चुंबकीय फ्लक्स में समय के साथ परिवर्तन होता है तो परिपथ में एक विद्युत वाहक बल प्रेरित हो जाता है। यह प्रेरित विद्युत वाहक परिपथ में तब तक रहता है जब तक इससे संबद्ध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता रहता है।
अर्थात जब किसी विद्युत अपघट्य के विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो इलेक्ट्रोडो पर इकठ्ठे होने वाले पदार्थ की मात्रा W , आवेश की मात्रा Q के समानुपाती होती हैं। यहाँ , Z एक स्थिरांक (constant) है जिसे विधुत रासायनिक तुल्यांक कहते है।
अर्थात
W ∝ Q
आवेश की मात्रा = धारा x समय
Q = I x t